सभी अपनी-अपनी प्रशंसा कर रहे थे।
स्वाद अधिवेशन में वाद-विवाद प्रतियोगिता चल रही थी। सभी अपनी-अपनी Continue Reading
आवाम की आवाज
स्वाद अधिवेशन में वाद-विवाद प्रतियोगिता चल रही थी। सभी अपनी-अपनी Continue Reading
न जाने जमाने को क्या हो रहा है। हरिक आदमी Continue Reading
गुज़रती रहीं इक नज़र दूर तक है नज़र में नज़र Continue Reading
भूख बड़ी ही गजब चीज हैं,कुछ भी करवा जाती हैं। Continue Reading
हाँ मैं एक नारी हूँ,मैं सब संभाल लेती हूँ । Continue Reading
भारत में दिन कितने अच्छे हैं। रोटी को तरसते यहाँ Continue Reading
मन में उठती है एक चाहत मन के तरंगों को Continue Reading
दिल्लगी ही दिल्लगी है दिल लगाकर देखिये , आज़माना हो Continue Reading
एक गीत:- आधार छंद:- स्रग्विणी छंद गालगा गालगा गालगा गालगा Continue Reading
गांव हो या शहर बात ये आम है। प्लास्टीक का Continue Reading